Tuesday, July 30, 2013

जा कुलच्छनी........! सब बरी हो गए





















तुम क्यों आये रिपोर्ट करने ...?
फुसफुस..फुसफुस.....
हाँ कारण ही कान में बताता है.
ऐसी रिपोर्ट हुई तो गुम इंसान ही कायम होना था, लिखा नाम, पता, हुलिया, अंतिम बार कब, कहाँ, किसके साथ देखी गयी.

खोजबीन हुई ........ हाँ भई सच में हुई
न वो मिली, न उसकी लाश ! [ओह इतनी जल्दी लाश क्यों लिख दिया]  

अब जिद से थाने में पहले कान में फुसफुसा कर बतायी गयी कहानी जोर से खुले में सबके सामने सुनाई गयी.
मामला ही ऐसा था कि.......
केस में मर्डर की धारा बढ़ाई गयी [हाँ ठीक सोच रहे हैं अजूबा ! डेड बॉडी मिले बिना]

फिर खोजबीन हुई....... हाँ भई ठीक से हुई 
नहीं मिली, मिलनी भी नहीं थी  
रामपुर बन्नौदा जिला शहडोल से बहती नदी की तेज बलखाती धार से गुम हुई थी वह, ज़िंदा.
सुनते हैं वह तो धकेले जाने से पहले ही मर सी गयी थी. हाँ कारण बताया गया था उसे पहले.

समय गया, बातें रह गयी.... लाश तक नहीं मिली.
हाँ ठीक सोचा आपने, सुराग.... वो भी नहीं मिले.

फिर भी पुलिस ने गवाह, सबूत जुटाया और न्यायालय में चालान [चार्जशीट] किया....... उंची कुल-जात की लड़की को गाँव के चमरापारा के लड़के से कुजात-पियार हो गया. लोक-लाज का लिहाज न रखी. धत ! कितना चेताया, कोई ऐसा सोचे भी न, मिसाल रहे. घर से निकाला चोटी पकड़कर, कपड़े थे बदन पर, बेटी थी आखिर, सब अपनों की भीड़ भी थी इसलिए बस चप्पल-जूते की चपत लगाते, कानों में शीशा घोलते, घसीटते... उफनती नदी के किनारे लाये, धकेल दिया...... जा कुलच्छनी !!!

पुलिस भी न ....पक्का केस बनाकर....ये सब न्यायालय में पेश किया था 
हाँ साहब, पियार था दोनों में, मिलते थे, एक दूसरे को देखकर हँसते भी थे
हाँ साहब, महराज के घर में झगड़ा हुआ था
जी साहब, बहुत भीड़ थी, सब चिल्ला रहे थे मारो-मारो....
हाँ साहब, वहाँ गिरने के बाद किसी को दिखी नहीं
इन बयानों के साथ पुलिस ने चप्पल, चूड़ी के टूटे टुकड़े, एक मोबाइल, चुनरी भी जप्त किया था.

पर मानिए उसके घर देर है अंधेर थोड़े, आखिरकार छह साल बाद न्याय मिल गया.
ऐसे कोई जांच होती है भला. लाश नहीं, जप्ती कुछ ख़ास नहीं, ऊपर से गवाह बोलते नहीं.
फैसला दिया-
"गवाह और सबूतों के अभाव में मामले के सभी आरोपियों को [हाँ माँ-बाप-भाई-चाचा सहित] बा-इज्जत बरी किया जाता है."