tag:blogger.com,1999:blog-3643935338069027919.post3990512341345688729..comments2023-06-18T20:13:25.595+05:30Comments on मनोरथ: और अधिक मौन न रहा जायेसमीर यादवhttp://www.blogger.com/profile/07228489907932952843noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-3643935338069027919.post-71951643526962264002008-10-08T22:10:00.000+05:302008-10-08T22:10:00.000+05:30सुकवि बुधराम यादव जी की रचनाएँ क्रांतीकारी हैं, ये...सुकवि बुधराम यादव जी की रचनाएँ क्रांतीकारी हैं, ये रचनाएँ आजीवन प्रेरणा देंगीं....... कवि की रचनाएँ और आपका उनके प्रति लगाव-खिंचाव दोनो "सलामी" के योग्य हैं।कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3643935338069027919.post-78873317761039991262008-10-04T04:07:00.000+05:302008-10-04T04:07:00.000+05:30अत्यंत प्रेरक रचना !!हमने अभी-अभी अपना मौन तोडा है...अत्यंत प्रेरक रचना !!<BR/><BR/>हमने अभी-अभी अपना मौन तोडा है आपकी यह रचना अब इसे मुखर कर देगी!!<BR/><BR/>मौन मुखर होगा जब सत्य प्रखर होगा तबदीपकhttps://www.blogger.com/profile/08603794903246258197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3643935338069027919.post-85479331276913313202008-10-03T21:01:00.000+05:302008-10-03T21:01:00.000+05:30sunder likha haisunder likha haimanvinder bhimberhttps://www.blogger.com/profile/14360004004976420055noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3643935338069027919.post-48663074001592372582008-10-03T20:07:00.000+05:302008-10-03T20:07:00.000+05:30बहुत उम्दा, आनन्द आ गया.बहुत उम्दा, आनन्द आ गया.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3643935338069027919.post-19236487979745732172008-10-03T19:18:00.000+05:302008-10-03T19:18:00.000+05:30bahut sundar... bahut achcha likha hai....bahut sundar... <BR/>bahut achcha likha hai....vipinkizindagihttps://www.blogger.com/profile/06698270014124048966noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3643935338069027919.post-90926750336274155972008-10-03T17:32:00.000+05:302008-10-03T17:32:00.000+05:30सार सच कह गये फकीरों ने बाकी सब रह गये लकीरों में ...सार सच कह गये फकीरों ने बाकी सब रह गये लकीरों में <BR/>खोलकर अब उन्हें पढ़ा जाए... <BR/>और अधिक न रहा जाये <BR/>कैसे अपना वतन सँवारोगे<BR/>जब ना ख़ुद की चलन सुधारोगे गाँधी गौतम किसे गढा जाये...<BR/>और अधिक मौन न रहा जाये .<BR/><BR/>वाह बहुत ही सुंदर <BR/>सुकवि सम्मानीय बुधराम जी यादव की यह रचना अपने आप में कितना कुछ कह गई है . एक कहावत है कि पहले अपने गरेबान में झांक कर देखो फ़िर दूसरे का देखने जाना . यही सच यह <BR/>कविता कह रही है कि पहले अपने में सुधार करो और फ़िर दूसरो से सुधार की अपेक्षा करो . समीर जी इतनी सुंदर रचना प्रस्तुत करने के लिए आभार.समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.com