सुध के बाती म तोर जोही जिनगी के जोत जगावत हौं !
तैं भौंरा बन के आजा गियाँ तन बगियाँ मैं ये सजावट हौं !!
लुगरा पहिरेंव रेसमाही
गहना ला जमो गवानाही
अंगरा चुहय ये अंग-अंग ले
बैरी देखत म जरजाही !!
एक जुग मा बगरे केस कोर मै सेंदुर आज लगावत हौं !
तैं भौंरा बन के आजा गियाँ...
खुंट धर अंगना लीप डारेंव
मोतियन चौंक ये पुर डारेंव !
गंगाजल मा नहवा के
कंचन काया कर डारेंव !!
अरजी-बिनती कर बेलपाती शिवजी म ये दे चढ़ावत हौं !
तैं भौंरा बन के आजा गियाँ....
खोर गली ये सुघर बहारे
दियना घी के घलव बारे !
डेहरी बईठे बाट जोहय
दुनो ये नयना रतनारे !!
समुन्हें ले जमो जवईया सो धनी रहि-रहि के सोरियावत हौं !!
तैं भौंरा बन के आजा गियाँ...
घेरी बेरी ये अंचरा सरकय
फर फर डेरी अंग फ़रकय !
अलबेला तोर औती के
सुख मा आठों अंग भर गयं !!
छिन घर अंगना छिन खोर गली तोर आरों ओरखे जावत हौं !
तैं भौंरा बन के आजा गियाँ ....
पापी कौआं छानी मा बोलय
जनव भेद जिया के खोलय !
तोर केरा खाम कस बइयां बिन
मन पीपर पात कस डोलय !!
सइयां पाँव पखारे बर दूब चन्दन घलव मंगावत हौं !
तैं भौंरा बन के आजा गियाँ तन बगिया मै ये सजावत हौं..
सुध के बाती मा तोर जोही जिनगी के जोत जगावत हौं...
............रचनाकार
.... सुकवि बुधराम यादव
..... बिलासपुर
पापी कौआं छानी मा बोलय
ReplyDeleteजनव भेद जिया के खोलय !
तोर केरा खाम कस बइयां बिन
मन पीपर पात कस डोलय !!
सइयां पाँव पखारे बर दूब चन्दन घलव मंगावत हौं !
sach adbhut सुकवि बुधराम यादव ko saadar pranam sampreshit keejie
geet lay-tal se poora anushashit,saath hee bhav ADBHUT