आचार संहिता लग गई ..... तो क्या हुआ ? काम थोड़े ही रुक जायेगा !! ....ये सरकारी अधिकारी तो बस बहाना ढ़ूढ़तै हैं...... काम नहीं करने का. चलो अभी मिलवाता हूँ.....
नेताजी से. छोटी-छोटी आँखों को जबरदस्ती विश्वास दिलाने के उपक्रम में बड़ी करता हुआ एक सेवक मुन्नू कबाडी को अपने पीछे-पीछे ड्राईंग रूम तक ले आया. नेताजी.....! क्या बताऊँ...वो अशरफ को अयोध्यानगर थाने में पकड़ लिया गया..... कहते हैं... बिजली के तार, जो और चोरी किए हो, सब बरामद कराओ... वरना सड़ा देंगे. सुखलाल सिपाही ने बताया है कि मेरे यहाँ भी छापा मारने आ रहे हैं. थानेदार से बात की.... नेताजी ने एक साँस में बोलते मुन्नू कबाड़ी को टोका. हाँ किया था... पर थानेदार बोलता है... साहब तो तुम्हें भी उठाने को बोल गए हैं... स्स्साले ! अपने आदमी को चोरी के लिए बाकायदा स्कूटर, मार्शल जीप दे रखा है. इस बार माल और जीप के साथ पकड़ाया है... सुबह 4 बजे के चेकिंग में.... साहब ख़ुद भी थे.....!! मैं कुछ नहीं कर सकता, मामला साहब के हाथ में है. परेशानी के भाव मुन्नू कबाड़ी के चेहरे पर आ-जा रहे थे. नेताजी एक सेवक को इशारा करते हैं.... सेवक तो जैसे इसी के इंतजार में ही था... झट सक्रिय होकर
इलाके के साहब को फोन मिलाया. उधर से हेलो कहते ही छूटते हुए बोला.... साहब, माननीय नेताजी बात करेंगे. फ़िर
ऑनलाइन...मोबाइल नेताजी को पकडाता है. नेताजी नमस्कार..! कैसे हैं पांडेयजी,,,! नेताजी तुंरत अनौपचारिक होते हुये मुद्दे की बात पर आते हैं... देखिये क्या यही सब काम रह गये हैं आपके पास, हमारे कार्यकर्ताओं को परेशान करें, बिठा ले.! ......लेकिन वो तो माल और चोरी की गाड़ी के साथ पकडा गया है... बुझे स्वर में उत्तर आया. तो क्या..! कार्यवाही में तो आप ही थे न.....तो फ़िर मेनेज करिये. बाद में बात करते हैं.
..........................आधे घंटे बाद सेवक पुनः वही नंबर मिलाकर मोबाइल नेताजी को देता है... आवाज आती है... जी हाँ, छोड़ने के लिए कह दिया है. हाँ ठीक है.... देखिये चुनाव का टाइम है... उसको, आपको, सबको देखना है....हा हा...हा..!!! नेताजी विजयी भाव चेहरे पर लाकर मुंह से ही हँसते हैं.
....समीर यादव.
भैया, मोबाइल के साथ नेतागिरी भी मोबाइल हो गयी है। पांच साल बाद लैपटाप पर इन्टरनेट जगर-मगर करायेंगे नेताजी मुन्नू कबाड़ी के सामने!
ReplyDeleteवैसे ये मोबिलाइज्ड नेता लोग तो सबको इनिशियल स्टेज पर ही निपटा देते हैं...आगे बात पहुँचे उसके पहले ही फाइनलाईज्ड :)
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट।
क्या बात है
ReplyDeleteसमीर भाई छा रहे हो
आप मोबाइल की कथा सुना रहे हो
बधाईया
Sahi hai..
ReplyDeleteguptasandhya.blogspot.com
सही कहा समीर जी !! आपने
ReplyDeleteएक ही उल्लु काफ़ी है खाक गुलिस्ता करने को ॥
हर साख पे उल्लु बैठे है अब हले गुलिस्ता क्या होगा !!
बिल्कुल सही कहा आपने
ReplyDeleteसटीक व सामयिक
मोबाइल श्रंखला तो जम रही है... बहुत बढ़िया !
ReplyDeleteयथार्थ चित्रण है भाई..गजब चल रही है मोबाईल कथा.
ReplyDeleteअरे वाह सब चोर उच्चके साहब बन जाते है चुनाव के दिनो मै, धन्यवाद
ReplyDeleteये मोबाइल कथा तो जबरदस्त है..
ReplyDeleteमेरा ब्लॉग विजिट करने के लिए शुक्रिया समीर जी. अच्छा लगा एक पुलिस ऑफिसर होते हुए भी पत्रकार से बड़ी सोच है आपकी. ऐसे ही लिखते रहिये और हमें भी पढ़ते रहिये.
ReplyDeleteमेरे लिये यह अंतरकथायें हैं । समीर जी धन्यवाद, विद्रूपों को उधाडने के लिए, इनकी नंगी सोंच समने आनी चाहिये ।
ReplyDeleteसुन्दर बोधगम्य तरीके से प्रस्तुत इस आलेख के लिए धन्यवाद ।
समीर जी,
ReplyDeleteआहा!! नेताजी का मोबाइल
बहूत खूब लिखा आपने बस ऐसे ही लिखते रहिये,
हमारी सुभकामनाए आपके साथ हैं
हमारे ब्लॉग पर आपकी टिपण्णी के लिए धन्यवाद
aap ko is rachna ke liye meri or se hardik badhaai.... itne vyast jeevan main se bhi aam aadmi ke liye aap ka samay nikal kar likha gaya yeh sanskaran ek baar phir shrilal shukla ki yaad didata hai... vartman halaton par aapka yeh chintan sadhuvaad ke yogya hai...
ReplyDeleteबेहद अच्छा और साफ़ सुथरा लिखा है....यह सफेदपोश 'बीमारी' कम से कम भारत में तो लाइलाज हो चली है....शायद ऐसे आईने दिखने से कुछ परिस्थितयां बदलें....हार्दिक शुभ कामनाएं
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ReplyDeletesameer bhai apka likha padhker may abhibhut hu-mustafa,Etv
ReplyDeletesameer bhai itne gehre utre hai ye maloom nahi tha.meri shubhkamnaye
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