Wednesday, November 5, 2008

नेताजी का मोबाइल......

एक राजनीतिक दल में समाज विशेष के स्वयंभू नेताजी चुनावों की घोषणा के बाद मीडिया को इंटरव्यू में पार्टी की संभावना और उसमें अपनी भूमिका पर खींसे निपोरते हुए कह रहे थे..." पार्टी ने अपने कार्यकाल में हमारे समाज का ख्याल रखकर खूब काम किया है, हम प्रचंड बहुमत से सत्ता में आयेंगे, मैं तो पार्टी का सच्चा सिपाही हूँ जो दायित्व मिलेगा...निभाने की कोशिश करूँगा. हा हा...हा..! " चुनावों में पार्टी उम्मीदवारों की सूची में अपना नाम नहीं पाने पर मीडिया के लोगों को बुलाकर वही नेता चीखते हुए कह रहे हैं..." पार्टी में भाई-भतीजावाद, अदूरदर्शिता, पक्षपात चरम पर है, नेतृत्व ऐसे लोगों से घिरा है, जिन्होंने समाज और पार्टी दोनों का कबाडा कर दिया...ऐसी पार्टी में दम....[ एक सेवक बीच में कुछ इशारा कर रहा है.]...मैं तो इस चुनाव.में... .!!! " ...इतने में उनका एक सेवक बजता मोबाइल उन्हें पकडाता है जहाँ से आवाज आती है....क्यों बुढापे में विधवा बनने का नाटक कर रहे हैं....किसी आयोग-निगम में लाल-पीली बत्ती का इंतजाम हो जाएगा...अधिकृत उम्मीदवार के समर्थन की घोषणा करिए .... जी..जी......भैयाजी., ..मित्रों मैं तो पार्टी और जनता का सेवक हूँ...न सही जब मौका मिलेगा सेवा करूँगा.... नेताजी फ़िर खीसें निपोर रहे थे...! वहाँ खड़े लोग और मीडिया वाले भी खीसें ही तो निपोर....!

19 comments:

  1. समीर जी
    नेताजी पर बहुत ही रोचक व्यंग्य . वास्तव में यही सब हो रहा है और जमीनी हकीकत है . पढ़कर बहुत अच्छा फील हुआ और बहुत आनंद आया. सटीक पोस्ट पर आभारी हूँ .

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  2. बहुत रोचक...गिरगिट है सब..कब क्या रंग धर लें, कोई नही जानता!!

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  3. सटीक। आज की राजनिती का बारीक विश्लेशन्।सत्तालो्लूप नेताओं को नंगा कर दिया भाई साब्।बहुत सही।मज़ा आ गया।

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  4. क्यों बुढापे में विधवा बनने का नाटक कर रहे हैं....किसी आयोग-निगम में लाल-पीली बत्ती का इंतजाम हो जाएगा...

    " ha ha very well said, good sense of humour"

    Regards

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  5. सटीक ........एकदम सटीक....ओर हाँ शुक्रिया अब पढने में कुछ मजा आया .....

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  6. वाह क्या व्यंग्य मारा है। आपके ब्लोग पर पहली बार आना हुआ आकर अच्छा लगा।

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  7. bahut achchha likha hai mitr yahi rajneeti ki haqeeqat hai.....

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  8. यही तो है अपने देश की राजनीति. यथार्थ !

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  9. सुंदर व्यंग. हम ने भी खीसें निपोर दीं.

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  10. गज़ब की पैनी नज़र और नज़रिया सुबहान-अल्लाह

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  11. बेचारे गि‍रगीट भी इतनी तेजी से रंग नहीं बदलते हैं, वे तो ख्‍वामख्‍वाह बदनाम है- मुहावरा होना चाहि‍ए- नेताओं की तरह रंग(बयान) बदलना :)
    बहुत करारा व्‍यंग्य कि‍या है, मजेदार।

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  12. वाह, चमेली का तेल लगाये गिरगिटान!

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  13. समीर यादव जी, मजा आ गया क्या करारा व्यंग्य किया है आप ने लेकिन यह एक सच्चाई भी है.
    धन्यवाद

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  14. हा हा हा, बंधु निशाना तो आपका चूक ही नहीं सकता, बहुत बढिया प्रयास किया है व्रिदूपों को उधाडने का, इस विधा में भी आगे भी लिखते रहिये ।
    नेताजी के बारे में मैं कुछ भी नहीं कहूंगा, यदि सचमुच में लाल बत्‍ती मिली तो मेरे कुछ काम निबटेंगें, हा हा हा ।

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  15. पिस्सु ये पिस्सु
    राजनिती का पुराना घीस्सु
    इस बार फ़िर भी चुनाव मे खडा हुआ
    पिछली बार आपकी जमानत भी जब्त हुयी
    और फ़िर थोडा सा मुकाबला कडा हुआ
    बार-बार हारकर चंदे को डकारकर
    देखो ये कैसे चिकना घडा हुआ !!

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  16. bahut sateek likha hai....na jane kitne rang hote hain in netaaon ke.

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  17. किसी आयोग-निगम में लाल-पीली बत्ती का इंतजाम हो जाएगा
    बहुत खूब संवाद है - इस श्रेणी के नेताओं के बारे में एकदम फिट.

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