Sunday, March 3, 2013

उसी तरह बारिश पर भी ....

















बातचीत ........... क्या हुआ था ! तुम्हे पता ?

दृश्य एक .......

पहला - हर गुरूवार का तमाशा है यार ! दिन ब दिन भीड़ बढ़ती जा रही है
दूसरा - हाँ ! उधर दमोह, टीकमगढ़, सागर और छतरपुर तरफ से ज्यादा लोग आ रहे हैं
तीसरा - अरे क्या बात कर रहे हैं अपने जबलपुर से कोई कम है. क्या जज, नेता, बड़े अफसर सब आ रहे हैं
पहला - अब इसे क्या माने आस्था या इलाज न मिलने की दिक्कत
तीसरा - वो जो होता है न, जिसका कोई अंत नहीं....  वही है ये
पहला - पर इस बार चौकी "बाबाजी" [ सरौते वाले ] के घर के बजाय किसी खुली जगह पर लगवाना होगा
दूसरा - बिलकुल अब तक तो पुलिस के दम से चल गया
तीसरा - फिर बारिश का भी अंदेशा है, कुछ इधर-उधर हो गया तो स्टेमपीड [ भगदड़ ] हुआ मानो

दृश्य दो ..............

दूसरा - सारा अरेंजमेंट धरा रह गया.....
तीसरा - बारिश से पंडाल गिर गए और खेतों में पानी भरने से कीचड़ अलग हो गया
दूसरा - उधर चार बजे से उसी जगह चौकी भी शुरू हो गयी, किसको समझाए
पहला - व्यवस्था तो लगी है न ?
दूसरा - उसी के कारण तो अब तक चालीस हजार की भीड़ निकल गयी....

अचानक बारिश ...........
बचने के लिए गाँव की गलियों में बाबाजी के आशीर्वाद के लिए अपनी बारी का इन्तजार कर रहे बीमार बूढ़े, महिलायें, बच्चे और उनके साथ लगे सब भागे ......
बारिश बंद ...........
वही सब लोग वापस भागे ..........साथ ही "लंच" के बाद बाबाजी का सिद्ध जल छिड़काव ....
...........................................भगदड़...................................

दृश्य तीन ...........

पहला - ओह ! कम से कम तीन दर्जन लोगों को तो मैंने गाड़ी में डालकर रवाना किया
दूसरा- डालकर मतलब.... !
तीसरा - मतलब ...इन बिखरे चप्पल जूतों से समझ लो
चौथा - फिर भी कितने लोग मर गए .....?
पहला - अभी तो दस मान लें ....
चौथा - कुछ ज्यादा नहीं हो गए ......!!!
फिर से चौथा - हमारी व्यवस्था लगी थी, देखिये...... जिस प्रकार आस्था पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता ................उसी तरह बारिश पर भी.

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