Saturday, July 5, 2014

चारमीनार का नारको टेस्ट

March 9, 2011 at 8:23pm
ये क्या हुआ...आया तो था नारकोटिक्स केसेस में और बेहतर साइंटिफिक ऐड के साथ इन्वेस्टीगेशन पर सेमीनार के लिए..पर शाम को घूमते फिरते जब चारमीनार देखने पहुँचा तो हैदराबाद से उसके पुराने रिश्ते के मद्देनजर धीरे से कुछ जानने की कोशिश की तो उसने साफ़ मना कर दिया. उससे इस कदर बेरुखी अपेक्षित नहीं थी. मैंने उसे एक बार भरी नजर से देखा और लम्बी सांस लेने की इच्छा के बावजूद वहाँ पसरी गर्दी को महसूस कर घुटे हुये से आवाज में फिर मिन्नत की. पुराना, बेहाल, निपट चुके बूढ़े, तिस पर एक मीनार पर मरहम पट्टी बंधी फिर भी जवाब आया..न. इसके इसी ज़ज्बे ने इसे इस हाल में पहुँचाया होगा ..ऐसा मन में सोचते मीनार से पूछा- तुम कौन सी बात नहीं बताने के लिए यूँ चुप्पी लगाये हो. उस निजाम, उन ताबेदारों या आज के रहनुमाओं के. यहाँ से गुजर रहा हरेक शख्स जैसे तुम्हारे वजूद से बाख़बर पर तुमसे बेख़बर. तुम कहो न कहो यहाँ तिजारत करते दिख रही बुर्का वालियों की तरह इस आधी चाँदनी और  मोतियों की दूकान वाली आधी रौशनी में तुम्हारे चेहरे पर पसरी मायूसी कुछ बयाँ तो कर रही है. उसे पढ़ने की कोशिश करते ही तुरंत ख़याल आया ये क्या.. इसमें क्यूँ इमोशनल होकर वक्त जाया किया जाये.क्यों न आज की क्लास में सीखे फार्मूला को आजमाया जाये. इस बेजान बन रहे पर अपने आग़ोश में कई इतिहास छुपाये चारमीनार से उसकी दास्ताँ सुन ली जाये... क्यूं न चारमीनार का "नारको टेस्ट' कर लिया जाये.

चारमीनार का नारको टेस्ट ..... जारी ....हैदराबाद डायरी के साथ..!

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समीर यादव 

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