Saturday, August 17, 2013

नाईट गश्त में चेकिंग



वूं वूं वूं ......................वूँ....वूं...!!!!!

अरे कितनी बार कहा गश्त के दौरान सायरन या हूटर मत बजाया करो और हाँ पीली बत्ती भी जलाने की जरुरत नहीं है.

वो क्या है न सर, फिर पॉइंट ड्यूटी वालों को पता कैसे चलेगा हम चेकिंग में आये हैं. मैं तो केवल पॉइंट पर ही बजाता हूँ.

इस चेकिंग के चक्कर में वो लोग डीसी [ड्यूटी सर्टिफिकेट] लिए बस अपने पॉइंट पर खड़े रहते हैं, मेरा बस चले तो ऐसे डीसी चेकिंग ही बंद कर दूं. वायरलेस सेट क्यों दिया है कॉल नहीं कर सकते.

सभी पॉइंट वाले के पास थोड़े ही है सर, और जो हैं वो भी किस हालत में हैं आप तो जानते हैं. किसी की बैटरी डिस, तो किसी से आवाज ही नहीं आती. ये हूटर वाला आईडिया सबसे बढ़िया है, इसीलिये सिकरवार साहब कहते हैं- “स्साले जब हम अपनी नींद रात में खराब कर रहे हैं तो इनको भी कोई हक़ नहीं है सोने का. करो हल्ला, जागते रहेंगे तो कम से कम कुछ तो क्राइम रुकेगा.”

और गोविन्द कैसा चल रहा है, सब ठीक है तुम्हारे पॉइंट पर 
जी सर !
वो मुन्ना खटिक को चेक किया, पता चला है जेल से छूट गया है.
हाँ सर, लेकिन घर पर कभी नहीं मिलता. बस उसकी माँ और भाभी रहती है
अरे कभी सुबह सुबह दबिश दिया कर, वो भी छत पर, तब मिलेगा ओके 
इस तरफ परवेज डेंजर, अशरफ डॉन, कन्नू काडर को भी दिखवा लेना गौतम....! स्साले...... कुछ न कुछ करते रहते हैं. 
हाँ सर ! आजकल कन्नू काडर अध्यक्ष बनने के चक्कर में झांसी के खूब चक्कर लगा रहा है.. गौतम ने अपना सर जिप्सी के पिछले हिस्से से डी.एस.पी.के कान के पास लाकर बताया  

अरे गौतम ! उधर देखना गली के अन्दर उस मकान की लाइट इस वक्त कैसे जल रही है.

जी सर !

जैसे ही गाड़ी रुकी वहां से कुछ आवाज आते हुए भी सुनाई दी. सब इंस्पेक्टर गौतम उसके साथ गनमेन और एक होमगार्ड फुर्ती में गाड़ी से कूदे और मकान की तरफ दौड़ लगा दिए.

मकान के नजदीक पहुँचने पर वहाँ से आती आवाज लगभग शोर में बदल चुकी थी. मुमकिन झरोखों और दरवाजों से अन्दर झाँकने के बाद भी कुछ ज्यादा समझ नहीं आने पर गौतम ने दरवाजा खटखटाना शुरू किया. थोड़ी देर तक कोई जवाब नहीं मिलने पर पुलिस वालों का गुस्सा और आवाज देने की फ्रिक्वेंसी अपने आप बढ़ने लगी. भीतर तक आवाज पहुंचाने के लिए वे दरवाजे पर हाथ की जगह मुक्के और लात मारने लगे और हाँ मुंह से.... #$%^%$ [ हाँ इसका मतलब गाली है, आपने सही सोचा ]

थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला.

पहले दौर में एक दूसरे को हैरानगी से देखा-देखी के बाद गौतम ने ही पूछा - "अरे इतनी रात को तेज आवाज में टेप बजाकर तुम क्या कर रहे हो."

“अपने घर में मैं कुछ भी करूँ आपसे क्या मतलब” – उस अधेड़ से भी अधिक उम्र के लग रहे है आदमी ने जवाब दिया.

“लेकिन इस उम्र में तुम्हारी ऐसी हरकत से दूसरे परेशान हो रहे हैं. बहुत हो गया, चलो अब सो जाओ..@#$@@ के”- गौतम ने कहा

“किसी को कोई प्रॉब्लम नहीं है तुम नाहक ही मुझे परेशान मत करो....और मुझे @#$%$$ मत दो”- आदमी ने कहा

"तुम हमें प्रॉब्लम समझाओगे #$%^&$ ....., अरे वीरेंदर ले चल इसको".

देखते ही देखते माहौल खराब हो गया और पुलिस ने उस आदमी को टेप रिकार्डर के समस्त सहायक उपकरणों के साथ जीप के पिछले हिस्से में ला पटका.

"सर ! ये तो बहुत #$%^# आदमी है इसे थाना ले जाना पडेगा..." गौतम रिपोर्ट देते हुए बोला.

हाँ चलो, मोती मस्जिद की तरफ से पॉइंट चेक करते हुए इसे कोतवाली छोड़ देंगे

बिठाओ इस @#$%## को और हाँ 109 कर देना, दो चार दिन उधर की हवा खा लेगा तो समझ आयेगा इसे. [पंद्रह मिनट बाद कोतवाली थाना में]

चार दिन तो नहीं दो दिन बाद उसी कोतवाली थाने में ........ सर एक रिपोर्ट करनी है. [दो घबराए से युवक मुंशी के सामने आकर कहने लगे]

बोलो ! मुंशी ने नहीं उसके मददगार ने कहा

सर हम अपने एक रिश्तेदारी में तीन दिन पहले महराजपुर गए थे. पिताजी की तबियत कुछ ठीक नहीं होने से वो यहाँ घर में रुक गए थे. आज सुबह जब हम लौटे तो पिताजी घर पर नहीं मिले...

अरे आस-पड़ोस से पूछा, जान-पहचान वालों से तस्दीक की.....आखिर कहाँ जायेंगे इस उम्र में. वाक्य पूरा होने से पहले ही मुंशी लड़कों की उम्र का अंदाज लगाकर समझाने लगे.

जी साहब पूछ लिया. कहीं से कोई खबर नहीं मिली. हमें बहुत डर लग रहा है सर.

अरे ऐसा करो घनश्याम ! गुम इंसान कायम कर लो - मुंशी जी ने अपने मददगार से रूटीन अंदाज में कहा.

हाँ क्या नाम है तुम्हारे पिताजी का, उम्र, पता, हुलिया, कपडे क्या पहने थे, कहाँ-कहाँ रिश्तेदारी है सब बताते जाओ. हाँ अभी-अभी का एक फोटो भी लगेगा.

जी साहब फोटो है...ये लीजिये. फोटो हाथ में लेकर मुंशी एक बार गौर से देखता है.

सर एक और बात है, घर मे बाक़ी सब तो ठीक है लेकिन पिताजी के कमरे से पूरा साउंड सिस्टम ही गायब है. हमें ये समझ नहीं आ रहा है कि पिताजी उस टेप रिकार्डर को लेकर आखिर कहाँ और क्यों जायेंगे, इसीलिए डर भी लग रहा है. घबराये हुए दोनों बेटे लगातार अपनी आशंका को जाहिर करने की कोशिश करने लगे.....

अरे कुछ नहीं हुआ है तुम्हारे पिताजी को, घबराओ नहीं बैठो. अभी पता लगाते हैं......कहते कहते मुंशीजी ने फटाक से 109  के रजिस्टर से गुम इंसान का रिकार्ड सरसरी तौर पर मिलान करते हुए कनखियों से मालखाने में रखे टेप रिकार्डर का जायजा भी ले लिया. फिर धीरे से मददगार घनश्याम से कहा - "जा बाहर ले जाकर इन्हें बता, कोर्ट से जमानत करा ले, रंगरेलियां मनाते पकड़े गए अपने बाप की..."