Saturday, November 1, 2008

हेलो !!! कौन...! ...भावना दीदी ~~ !! भाग-2





गढा जबलपुर का मशहूर " लाल हवेली "  भेडाघाट-लम्हेटा घाट से लगभग 25 किलोमीटर दूरी पर है..और वहाँ के मालगुजार ओंकार प्रसाद शुक्ला जो एक संपन्न परिवार का मुखिया था, की ऐसे निर्जन स्थान पर निर्मम ह्त्या......!!!  मामले में हत्या और इसके तरीके के पीछे जितने भी सम्भव कारण...या सूत्र हो सकते थे ..बिना देरी किये पुलिस ने सोचना, जोड़ना और जुटाना शुरू किया.

मृतक ओंकार प्रसाद शुक्ला का एक भरा पूरा परिवार था. जिसमे गृहिणी पत्नी के अलावा दो पुत्रियाँ दोनों विवाहित, उनमे से एक घटना के कुछ दिनों ही पूर्व मायके माँ-पिता से मिलने आई थी.  मालगुजारी का काफी जमीन जायदाद होने के साथ, वह इस क्षेत्र में दिलचस्पी होने के कारण बहुत समय से प्रोपर्टी डीलिंग बिजिनेस में भी था. एक पुरानी लेकिन मेन्टेन फियेट कार और उस पर एक अदद ड्राईवर अजय बवेले था. घर में लैंड लाइन टेलीफोन के अलावा एक सेल फ़ोन भी व्यक्तिगत उपयोग के लिए ले रखा था. घर से ही अपने कारोबार का ऑफिसनुमा कार्य कुछ विश्वसनीय पुराने मुलाजिमों के माध्यम से चलाता था. अभी तक आई इस तरह की जानकारी को अनालिसिस की भट्टी में चढाये पुलिस कुछ और सूत्रों की प्रतीक्षा में वहीं तैनात...आने जाने वालों से बातचीत करती रही. इस समय तक ओंकार प्रसाद शुक्ला के स्थानीय परिजन एवं कारोबारी रूप से नजदीकी लोग मातमपुरसी के लिए घर पर आने लगे थे. पुलिस से अनौपचारिक बातचीत में घर वालों ने बताया कि मृतक ओंकार का अपने सगे छोटे भाई सनत शुक्ला से संपत्ति सम्बन्धी पुराना विवाद कई मामलों मुकदमों के साथ अदालत में चल रहा है....और इसीलिए उनके परिवार का आपस में किसी भी सुख-दुःख में आना जाना भी नहीं है. इसके अलावा अन्य किसी व्यक्ति से विवाद या अन्य कोई बात-अदावत न कभी बताई गई, न ही उनकी जानकारी में अब तक आई है. अधिकांश परिजनों एवं करीबियों ने इस बात को और पुष्ट भी किया.



अभी विवेचना की कोई एक दिशा तय करना मुमकिन नहीं था...इसलिए पुलिस हत्या के पीछे ....मृतक ओंकार प्रसाद शुक्ला का अपने सगे भाई सनत शुक्ला से चला आ रहा विवाद , अन्य किसी प्रोपर्टी डीलर से छुपा हुआ कोई विवाद , फिरौती के लिए अपहरण-हत्या,  अवैध सम्बन्ध, घरेलु विवाद---में कोई पारिवारिक कलह, संपत्ति सम्बन्धी विवाद, अन्य कोई तात्कालिक कारण या फ़िर सुपारी हत्या, में घटना से जुड़े साक्ष्य ढूंढ़ रही थी. लेकिन इसके साथ भेडाघाट पुलिस DSP के नेतृत्व में कुछ और कोणों पर भी सोच रही थी.  
                                   
16 जून को भी ओंकार प्रसाद शुक्ला अपने सामान्य दिनचर्या के मुताबिक सुबह उठे,  तैयार होकर हल्का फुल्का नाश्ता किया और अखबार पढ़ते-पढ़ते ड्राईवर का इंतजार करने लगे. तभी उसके मोबाइल पर एक कॉल आया कि  " गौतम जी के मढिया के पास केशरवानी होटल पर आओ,  एक जमीन देखने चलना है. "  मिलने के लिए बताया गया स्थान इतना नजदीक था कि मालगुजार घर से पैदल ही चले गये.  घरवालों ने भी इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, क्योंकि कभी कभार ड्राईवर के लेट होने पर मालगुजार स्वयं काम पर निकल जाते और जरुरत पड़ने पर उसे फ़ोन करके अपने पास बुला लेते थे. लेकिन सुबह आने वाला वह फ़ोन किसका था, यह अब भी कोई नही जानता था..जिसका कॉल उसे आखिरी बार घर से निकाल ले गया था. 
घरवालों और सभी मुलाजिमों के बयानों में कोई खास बात नहीं समझ में नहीं आई, सिवाय ओमकार प्रसाद की बड़ी बेटी भावना पाण्डेय के बयान में यह बताना कि.... 16 तारीख को पापा ने उसके मोबाइल पर एक बार सुबह जमीन देखने जाने की बात बताने, फ़िर दो बार ड्राईवर के आने पर मोबाइल से बात करने के लिए कहने और फ़िर एक बार शाम को जमीन देखने के कारोबारी सिलसिले में पाटन में होने और देर से घर लौटने की जानकारी देने के लिए फ़ोन किया था.  ड्राईवर अजय बवेले ने बताया कि उसे घर के काम से देरी हो जाने के कारण, करीब 12 बजे उसने एक बार फ़ोन पर मालगुजार से बात की तो मालगुजार ने उससे कहा कि- " ठीक है, मैं जमीन देखने जा रहा हूँ, तुमको कहाँ आना है.... थोडी देर से बताता हूँ."   मुलाजिम चिंटू उर्फ़ अमित ठाकुर जो 17 जून की शाम से मृतक ओंकार के घर पर मौजूद था, ने बताया कि उसका कोई भी काम होता था तो सेठ जी [ मालगुजार ] एक रात पहले या सुबह से फोन करके बता देते थे, कि वह आकर मिल ले या फलां काम कर ले.  लेकिन कल कोई बात ही नहीं हुई.  वह तो दोपहर तक तो अपने घर पर ही था.  वैसे भी उसका मोबाइल फोन आजकल रिचार्ज नहीं हो पाने के कारण बंद पड़ा है. और.......वह शाम को जैसे ही मालगुजार के बारे में सुना तुंरत घर चला आया. DSP ध्यान से इन बातों को सुनते रहे ...बयां लिखने और विडियो रिकॉर्डिंग करने के अलावा भी वो अपनी डायरी में कुछ-कुछ नोट करते जा रहे थे.

जानकारी में आये इन तथ्यों की तत्काल पुष्टि प्राथमिकता में था इसलिए क्रमशः ..... केशरवानी होटल के पास ओंकार प्रसाद के पहुँचने और वहाँ पर किसी से मिलने ....पाटन में ओंकार प्रसाद से व्यक्तिगत एवं कारोबारी रूप से जुड़े सभी लोगों की तसदीक कर ली गई. लेकिन किसी ने भी मालगुजार के पाटन आने, जाने, मिलने या देखने की जानकारी होने की बात में हामी नहीं भरी. DSP ने शांत भाव से इन सभी लोगों के सेल नंबर नोट किए और अपने एक कांस्टेबल रीडर को बुलाकर कुछ नम्बर्स को पृथक से नोट कराने लगे....शायद कॉल डिटेल्स रिपोर्ट [ CDR ] मँगाने के लिए.

अभी विवेचना की कोई एक दिशा तय करना मुमकिन नहीं था...इसलिए पुलिस हत्या के पीछे ....मृतक ओंकार प्रसाद शुक्ला का अपने सगे भाई सनत शुक्ला से चला आ रहा विवाद , अन्य किसी प्रोपर्टी डीलर से छुपा हुआ कोई विवाद , फिरौती के लिए अपहरण-हत्या,  अवैध सम्बन्ध, घरेलु विवाद---में कोई पारिवारिक कलह, संपत्ति सम्बन्धी विवाद, अन्य कोई तात्कालिक कारण या फ़िर सुपारी हत्या, में घटना से जुड़े साक्ष्य ढूंढ़ रही थी. लेकिन इसके साथ भेडाघाट पुलिस DSP के नेतृत्व में कुछ और कोणों पर भी सोच रही थी.


तो पढिये यह जानने के लिए......कि आखिर लाल हवेली के मालगुजार ओंकार प्रसाद शुक्ला के रहस्यमय ह्त्या का सूत्रधार, जिम्मेदार और हत्यारा कौन ???? पुलिस ने विवेचना में आगे क्या किया ....
.........तीसरा या  भाग..3 .कल 2-11-2008 को 

सूचना-  इस लेख में अभियोजन की आवश्यकता हेतु कुछ नाम परिवर्तित कर दिए गए हैं, साथ ही सेल नंबर्स नहीं दिये गये हैं...इस हेतु खेद है. उम्मीद है इस से रचना प्रवाह बाधित नहीं होगी.


8 comments:

राज भाटिय़ा said...

अरे भाई कही यह भावना दीदी का ही तो काम नही, चलिे कल देखते है फ़ोन ना से पुलिस क्या निकालती है.
धन्यवाद

Gyan Dutt Pandey said...

देखें, आगे क्या होता है।

डॉ .अनुराग said...

इस तरह के केसेस पढने का शौक शुरू से रहा है मुझे ,कभी एक बड़ी किताब ली थी लायब्रेरी से ..पुलिस फाइल से ..आप को पढ़कर मजा आ रहा है...

Udan Tashtari said...

बहुत रोचकता से इतनी गंभीर किस्सागोही हो रही है..अगली कड़ी का इन्तजार है. क्या पता कौन और कैसे निकल कर आता है इसके पीछॆ....

योगेन्द्र मौदगिल said...

अच्छी पोस्ट है बंधुवर कल्पना के साथ
वैचारिकता एवं यथार्थ से गंधियाती हुई

योगेन्द्र मौदगिल said...

मित्रवर,
नमस्कार.
मेरे ब्लाग 'हास्य कवि दरबार' पर आपकी टिप्पणी पढ़ कर आपकी सदाशयता से अभिभूत हूं.
परन्तु आपकी जानकारी के लिये निवेदन है कि
यों तो मेरे पांच ब्लाग है लेकिन मैं केवल तीन ब्लाग्स को ही निरन्तर अपडेट कर पा रहा हूं.
इसलिये यदि आप मेरे निम्न ब्लाग्स पर भ्रमण करेंगें तो मेरी जानकारी में रहेंगें और संवाद बना रहेगा

योगेन्द्र मौदगिल डाट ब्लागस्पाट डाट काम
yogindermoudgil.blogspot.com
हरियाणा एक्सप्रैस डाट ब्लागस्पाट डाट काम
haryanaexpress.blogspot.com
कलमदंश पत्रिका डाट ब्लागस्पाट डाट काम
kalamdanshpatrika.blogspot.com

निम्न दोनो ब्लाग्स अभी अपडेट नहीं कर पा रहा हूं
हास्यकविदरबार डाट ब्लागस्पाट डाट काम
hasyakavidarbar.blogspot.com
यारचकल्लस डाट ब्लागस्पाट डाट काम
yaarchakallas.blogspot.com
शेष शुभ
आशा है आप उपरोक्त तीनों ब्लाग्स ही पढ़ेंगें
साभार
-योगेन्द्र मौदगिल

डॉ. मनोज मिश्र said...

पुलिस विवेचना में क्या हुआ ,जिज्ञासा बनी रहेगी .

डॉ. मनोज मिश्र said...
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