यहीं रहते हो.......!....हूँ.., मैं सोचती थी कोई हॉस्टल जैसा होगा. यहाँ क्या अकेले...? नहीं......गाँव से भाई साथ में है...... खाना बना देता है... और मैं बस खूब एक्सरसाईज और स्टडी...तुम्हारी याद से फुर्सत मिलते ही.....जल्दी से अधूरा सा लग रहा वाक्य पूरा किया.... हूँ...! वो तो दिखता है.... ऊपर से नीचे तक देखने की मुद्रा बनाते हुये बोली. लाओ गाड़ी मैं किनारे पार्क कर दूँ. यहाँ से बड़ी गाड़ी निकलने पर दिक्कत होती है. हाँ.......सलिल, दिक्कत तो हो रही है ......... क्या कहा...? कुछ नहीं.....! ये गुलमोहर कैसे सूख रहे हैं..... फ़िर उत्तर सुने बिना बुदबुदाती हुई .... और भी बहुत कुछ सूख रहा है...!!! ..बस यूँ ही नंदू ने पानी नहीं दिया होगा. तुम्हारी फेवरिट..... ब्लेक टी बनाऊं ..... पहली बार घर आयी हो.... पानी का गिलास सामने रख कर खड़ा हो गया. कुछ नहीं, तुम बस यहाँ पास बैठो...... लो, बैठ गया. ....अरे ये क्या...!!! पैरों के पास क्यों...?? हाँ सखी, .......कभी कभी ......तुम्हारी खुशबू से साँस भर जी लेने का मन करता है.... वो तो यहीं कहीं से गुजरती है.... साथ बैठता हूँ.... तो पता नहीं खो जाता हूँ.... यहीं रहने दो ना.... जीने दो ना......! हूँ...... आज हम आखिरी बार मिल रहे हैं....... इसके बाद एक्जाम्स फ़िर पता नहीं क्या...? जिंदगी और कैरियर के लिए कुछ सोच ही न सकी...... तुम एक झोंके की तरह आये..... सब कुछ उड़ता गया.... कहाँ से समेटना शुरू करूँ...... सोचती हूँ आज ही कुछ......चलूँ.. ! हूँ.. थोडी देर रुको ..... तुम्हारे काँधे पर सर रख लूँ......!......हूँ...! तुम नहीं होगी तो तुम्हारे इस कंधे का भुलावा तो रहेगा...... आँसू....झर रहे आँखों को पोंछने को सही. अच्छा तो अब चलूँ........सलिल.! ......उसकी आँखों में अभी से आँसू थे. बाहर निकले तो देखा...... बड़ी गाड़ी से रास्ता जाम हो गया था.
................समीर यादव
33 comments:
वाह। अखरोट निकला ये पुलिस वाला तो।समीर भैय्या गज़ब लिखा है,बहुत-बहुत बधाई आपको।
बढ़िया !
घुघूती बासूती
bahut sunder
bahut sunder
बढिया लिखा..
waah bahut badhia
तो आप कहानी भी लिख लेते हैं। सुंदर।
बहुत सुन्दर पोस्ट - अजदक जी के स्तर को मैच करती।
उसकी आँखों में अभी से आँसू थे. बाहर निकले तो देखा...... बड़ी गाड़ी से रास्ता जाम हो गया था.
"very emotional and touching write up.."
regards
बहुत बढ़िया !
bahut accha
regards
क्या कहूँ !फिलहाल पढ़ रहा हूँ बस आपके इस अंदाज से भी वाकिफ हुए !
ये आपका नया अंदाज बहुत भाया. भावुकता में डुबो ले गये. बहुत सुन्दर.
बहुत ही सुन्दर कहानी.
धन्यवाद
बीती बातें जब स्वप्नों पर आती है तभी लेखनी आह के साथ ही मुस्काती है ।
बहुत सुन्दर ............
आभार आपका ।
आपको पढकर कुछ लाईने सहसा दिमाग मे कौंधी
परिचय इतना इतिहास यही
उमडी कल थी मिट आज चली
मै नीर भरी दुख की बदली !!
Wah..maharaj kamaal........
भाई समीर जी
आपका यह अंदाज बेहद निराला लगा कुछ हटकर. बेहतरीन पोस्ट अपनी यादो को समेटे हुए.
धन्यवाद.
nice post ji
Shyari is here plz visit karna ji
http://www.discobhangra.com/shayari/romantic-shayri/
good post ji
Shyari Is Here Visit Jauru Karo Ji
http://www.discobhangra.com/shayari/sad-shayri/
Etc...........
बडी हृस्व रचना, लेकिन पाठक पर दीर्घ असर!!
समीर, तुम्हारे कलम में जीवन है. इसे छुट्टी, थकावट आदि के बहाने रुकने मत देना.
सस्नेह -- शास्त्री
बहुत ही मार्मिक प्रस्तुति है। बधाई।
SATHEE
KITANE NARM HAIN AAP
SACH
WAH WAH
इतने दिनों से कहां हो भाई...?"
sukomal aur khoobsoorat.
समीर जी
एक पुलिस वाले के कार्यों के साथ साहित्यकार के कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए आप सचमुच बधाई के पात्र हैं....
doordarshan ki puraani telefilms yaad gayi...kamaal hai naa
chaliye mood fresh karne ke liye isko padhe,umeed hai mazaa aayega:
http://pyasasajal.blogspot.com/2008/12/blog-post_5104.html
समीर भाई, आपको नव-वर्ष २००९ की मंगलकामनाएं! बढ़िया लिखा है, बधाई!
नये साल की मुबारकबाद कुबूल फरमाऍं।
इस मर्मस्पर्शी रचना के लिए हार्दिक बधाई।
नया अंदाज !!!!
बधाई आपको!!!!
बहुत अच्छा लिखा है आपने बधाई हो
BAHUT ACCHA LIKHA HAI APNE
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