Monday, October 20, 2008

डीएनए टेस्ट का राज [भाग - दो]


पिछले अंक में.....
जहाँ से आगे जाने पर भौंचक कर देने वाली बात सामने आने वाली है. क्या था राजू के गायब होने का राज ??, क्या भूरा भी गायब था ? या फरार ?? या फ़िर जिन्दा ही नहीं..??? भूरा ने क्या कहा अपने , राजू , प्रताप और तथाकथित प्रेयसी समलिया के बारे में. समलिया ने अभी तक क्या छुपाया था !! और क्या सही बताया था !!! क्या पुलिस विवेचना के अनसुलझे रहस्य से परदा हटाने के कगार पर थी या अभी तक रहस्य के बियाबान में ही विचरण कर रही थी. अब आगे ..

..........................कचनारी निवासी समलिया अपने ही पड़ोस में रहने वाले भूरा सिंह से पिछले तीन वर्षों से प्यार करती रही है. बालिग होने के बाद उसने अपनी और भूरा की शादी का प्रस्ताव पिता रूपसिंह के समक्ष रखा लेकिन उन्होंने गोत्र का मिलान न होने का बहाना करते हुए उसे खारिज कर दिया. समलिया ने यह बात भूरा सिंह से बताई तो उसने कहीं अन्यत्र जाकर शादी कर लेने की बात कही. पर समलिया का परिवार गाँव का प्रतिष्ठित परिवार होने और समलिया के छोटी बहिन और भाई की अभी शादी नहीं होने के कारण समलिया ने इंकार कर दिया.

............................समलिया और भूरा इस सब के बाद भी एक होने के लिए सोचने लगे और बहुत विचार करने के बाद एक संगीन योजना पर पहुंचे. योजना के अनुसार समलिया परिवार की सहमति से विवाह के लिए तैयार हो गई. और अब केवल शादी का इंतजार हो रहा था. कुछ माह बाद समलिया की शादी उचेहरा गाँव के राजू से हो गई और राजू उसे ब्याह कर ले गया. समलिया ससुराल पहुँची और उसने अपने सुहाग के साथ सपने संजोने के बजाय योजना के अमल की राह देखना शुरू कर दी. वह ससुराल में एकदम सामान्य थी, जो भी मांगलिक परम्पराएँ और औपचारिकताएं पूरी हो रही थीं, वह उसमें एक नव विवाहिता के रूप में सहर्ष सम्मिलित थी.

............................योजना की पहली कड़ी शुरू हुई 15 मई को, प्रताप के पहुँचने के साथ. भूरा ने अपनी योजना में प्रताप को भी साथ लिया था. मूलतः डिंडोरी जिले के शहपुरा थाना अंतर्गत स्थित ददर गाँव निवासी प्रताप सिंह के नाना-नानी कचनारी में रहते हैं और यहाँ आते-जाते उसकी दोस्ती भूरा से हो गई थी. प्रताप योजना के अनुसार समलिया के ससुराल कचनारी पहुँचा और वहाँ से लौटते हुए राजू को भी साथ ले लिया. दोनों कुंडम पहुंचकर एक होटल में चाय-नाश्ता किए फ़िर प्रताप ने राजू से अपने घर चलने का आग्रह किया. पहले तो राजू ने मना किया लेकिन प्रताप की बनावटी प्यार भरी जिद के कारण वह तैयार हो गया.

............................एक साइकिल पर सवार होकर दोनों कुंडम से गजरा टोला जाने वाले मार्ग पर स्थित सुपावारा तिराहा पहुंचे थे कि वहां भूरा खड़ा दिखाई दे गया. भूरा ने आवाज लगाई तो प्रताप ने साइकिल रोकी और भूरा का परिचय राजू से दोस्त के रूप में कराया. फ़िर तीनों एक ही साइकिल पर सवार होकर आगे चल पड़े. साइकिल को भूरा चलने लगा, राजू को आगे और प्रताप को पीछे बिठा लिया. साइकिल चलती गई और जैसे ही ग्राम सकरी के काराघाट के समीप पहुँची थी, तभी भूरा ने राजू के गले में एक फंदा [ accilarator वाइर का फंदा बनाया गया था ] डाल दिया. फंदा डालते ही राजू का गला दब गया और उसके छटपटाने से तीनो साइकिल सहित नीचे गिर गए. इसके बाद योजना के अनुसार भूरा और प्रताप ने राजू को संभलने का कोई मौका दिए बिना उसका गला घोंट दिया और वहीं मेड़ पर एक गड्ढा खोद कर उसे दफ़न कर दिया. इस समय रात के करीब 8 बज चुके थे. भूरा अपने योजना और मकसद की पहली किश्त में कामयाब हो गया था..और इसके बाद दोनों अलग-अलग अपने गाँव के लिए रवाना हो गए.

...........................पुलिस की हिरासत में आने के बाद भूरा सिंह, प्रताप सिंह और समलिया ने जिस तरह गुमराह करने की कोशिश की थी, इसलिए पुलिस ने उनके बताये तथ्यों की पुष्टि के लिए उस स्थान को भूरा और प्रताप की निशादेही पर उनसे ही खुदवाया. वहां से बरामद मानव हड्डियों, जो कि कथित रूप से राजू की थीं, को विज्ञान के सर्वाधिक विश्वसनीय परीक्षणों में से एक से सुनिश्चित करने के लिए जबलपुर जिले में पहली बार डीएनए परीक्षण कराने हेतु राजू की बहन रुकमणि का खून का नमूना [ सैम्पल ] लेकर CFSL हैदराबाद के CDFD UNIT को भेजा .जहाँ से प्राप्त रपट मानव हड्डी होना, उसके अस्थि मज्जा एवम दांतों के डीएनए की प्रोफाइलिंग रुकमणि के खून के प्रोफालिंग से एक ही रक्त जीन के वाहक होने के पुष्टि ने, जबलपुर पुलिस के सीने में सफलता का एक तमगा और जड़ दिया. तीनो आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके विरुद्ध अभियोग पत्र न्यायलय में प्रस्तुत किया जा चुका है.


क्या है डीएनए टेस्ट....!
" जबलपुर जिले में यह पहला केस है, जिसमे अपराध की विवेचना में डीएनए [ डी आक्सी राइबो नुक्लिक असिड ] टेस्ट का सहारा लिया गया. पुलिस ने आरोपियों के निशादेही पर मौका ए वारदात से जप्त की गई मृतक राजू की हड्डियों की डीएनए प्रोफाइलिंग टेस्ट के लिए सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी के अधीन CDFD हैदराबाद भेजा गया. पुलिस ने इसकी सैम्पल मेचिंग के लिए मृतक राजू की सगी बहन रुक्मणि के खून का नमूना लिया, जो हैदराबाद भेजा गया था. उच्च स्तर के तकनीक परिक्षण से गुजर कर जब डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट पाजिटिव आई तो जबलपुर पुलिस ने अपनी कार्यक्षमता के विस्तृत श्रंखला में सफलता की एक और कड़ी जोड़ ली. "

इस केस के अलहदा होने के कई कारण थे जिनमे प्रमुख रूप से ........

@. दुल्हन का विवाह के तत्काल बाद अपनी महत्वाकाँक्षा को अमलीजामा पहनाने की सोच. नई नवेली दुल्हन के रूप में अपनी पारंपरिक भूमिका को अद्भुत नाटकीय रूप में सहजता से निभाना.
@. प्रताप का चचेरे भाई के रूप में आना और सहजता से अपनी मूल पहचान छुपाते हुए दुल्हे को गाँव से बाहर निकाल ले जाना.
@. दुल्हन के द्वारा नाटकीय रूप से प्रताप को चचेरे भाई के रूप में नए ससुराल में स्वीकार करा लेना और पति का विश्वास भी हासिल कर लेना.
@. पुलिस को घटना के बाद की पूछताछ में समलिया द्वारा स्वयं को पीड़ित साबित करते हुए अधिकतम समय तक गुमराह करते रहना..इसके लिए उसने न केवल नव विवाहिता होने अपितु कई बार महिला होने को कवच के रूप में इस्तेमाल किया.
@. प्राथमिक विवेचना का कीमती समय और साक्ष्य को अपने मायके और आरोपियों के गाँव से पुलिस को दूर रखकर नष्ट करने की योजना में भी समलिया और प्रताप, भूरा सफल रहे थे.
@. मूल घटना स्थल पर पहुँचने से पहले न जाने कितने ठिकाने और कितने गड्ढे पुलिस को सर्च करने पड़े जो आरोपियों के शातिराना मिजाज का सबूत था.
@. मूल घटना स्थल पर पहुँचने के बाद भी जो साक्ष्य मिल रहे थे, उसके सम्बन्ध में भी पर्याप्त संदेह पैदा कर देना कि आखिर यह भी सत्य है अथवा नहीं. इसके लिए पुलिस ने ख़ुद को दूर रखकर आरोपियों से ही स्थान विशेष की खुदाई करवाई .उसका फोटोग्राफ एवम videograpy भी करायी. ताकि साक्ष्य के रूप में इस पूरी प्रक्रिया को न्यायालय के समक्ष लाया जा सके.

10 comments:

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

good jee good

Anonymous said...

खोजपरक और तथ्यों के साथ जानकारी के लिए आभार. यदि पूर्ण लगन के साथ लगातार प्रयास किए जाए तो एक दिन सच्चाई सभी के सामने आ जाती है . प्रकरण में पुलिस की भूमिका सराहनीय है . सर जी कल पुलिस डे है इस पर जरुर लिखे.

Gyan Dutt Pandey said...

आप तो हिन्दी में जैफ्री आर्चर छाप बनने की सोचिये!

समीर यादव said...

ज्ञानदत्त जी, हौसला बढ़ने के लिए शुक्रिया. यह आपका स्नेह है. यहाँ पोस्ट पर 'विवेचना लेख' देने का मेरा मूल उद्येश्य अपराध कथाओं को बढावा देना, सनसनी फैलाना न होकर पुलिस विवेचना से जुड़े मुलभुत समस्यायें, विधियों , इंटेलिजेंस और समाज के उस चेहरे को सबके सामने लाना है जो की तस्वीर का दूसरा पहलू होता है. और इन्वेस्टीगेशन के दौरान केवल सम्बंधित लोग ही इससे वाकिफ हो पाते हैं, जबकि इसे जानने की जरुरत सबको है. अतएव इसमे सदीच्छाओं के साथ कहाँ तक सफल हो पाता हूँ, यह आप लोगों को देखना और चेताना है.

36solutions said...

समीर जी, पोस्‍ट की कडियां पढा, आपने अपनी टिप्‍पणियों में जो लिखा है उसे बखूबी निभा रहे हैं, समाज में जो अपराध कथा सरलता से उपलब्‍ध होते हैं उसके पीछे का पहलू पुलिस विवेचना से जुड़े मुलभुत समस्यायें, विधियों , इंटेलिजेंस और ....... तस्वीर का दूसरा पहलू होता है को प्रस्‍तुत करने का यह प्रयास निराला है, आप इसे निरंतर रखें ।

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही अच्छी कहानी ( वेसे यह कहानी है या एक सच)
धन्यवाद

समीर यादव said...

भाटिया जी.
बहुत धन्यवाद पोस्ट अवलोकन का.
"डीएनए टेस्ट का राज" एक सच्ची आपराधिक घटना की पुलिस द्बारा किये गये इन्वेस्टीगेशन में आये तथ्यों का एक पुलिस अधिकारी के नजरिये से सिलसिलेवार प्रस्तुति है.

दीपक said...

एक सत्य विवेचना के लिये ध्न्यवाद !!समीर जी आपके प्रयास सही और प्रासंगीक है !! पुलिस अफ़सर के मुह से अपराध की विवेचना स्वयमेव स्वयंसिद्ध हो जाती है !! आपके प्रयास मे किंचीत भी संदेह नही है !!

Smart Indian said...

इस अपराध की विवेचना पढ़कर पता लगा कि किस प्रकार आधुनिक तकनीक का प्रयोग करके दूध का दूध और पानी का पानी किया जा सका. जानकारी के लिए धन्यवाद!

P.N. Subramanian said...

आपके प्रयास सराहनीय हैं.
http://mallar.wordpress.com