Thursday, October 30, 2008

हेलो !!! कौन...! ...भावना दीदी ~~ !!

~~~~~~~~~~~~~~17 जून की सुबह भेड़ाघाट थाने में लम्हेटा गाँव का कोटवार दो तीन व्यक्तियों के साथ आया और मुंशी जी से को लम्हेटा घाट के पास एक लाश मिलने की सूचना देने लगा सुनकर थाने पर मौजूद थाना प्रभारी [ टीआई ] नरेश शर्मा ने उसे अपने कमरे में बुलाया जानकारी ली और सहायक स्टाफ के साथ वहां तत्काल रवाना होते हुए, वरिष्ठ अधिकारियों को फोन पर सूचित करते गए.

~~~~~~~~~~~~~~मौका-ये-वारदात का मुआइना करते हुए टी आई [ SHO] नरेश शर्मा ने अपने अनुभव से यह अंदाज लगा लिया कि नर्मदा नदी के इस कम आवाजाही वाले लम्हेटा घाट के, आश्रम वाले रोड के किनारे पड़ी हुई लाश अधिक पुरानी नहीं है. औंधे मुंह पड़ी हुई लाश का चेहरा जला हुआ था और सर के पीछे से आगे तक गहरे चोट थे..जिससे बहे खून के छींटे आस पास के पत्थरों पर भी दिख रहे थे. थोड़ी देर में DSP [ डीएसपी] भी घटनास्थल पर पहुंचे. घटनास्थल की बारीकी से निरीक्षण और निकटवर्ती क्षेत्र के सर्चिंग करने पर भी लाश के आसपास अपराध से सम्बंधित कोई भी साक्ष्य नहीं मिला था..सिवाय वहाँ मौजूद कुछ भौंचक चेहरे, माचिस की कुछ जली और अधजली तीलियों के.

~~~~~~~~~~~~~~DSP ने धुप के चश्में में आ गए धुल के कणों को साफ़ करते हुए टीआई से कहा- इसकी पहचान होना जरुरी है... ब्लाइंड मर्डर में लाश की शिनाख्तगी हो जाना ही मामले के आधे खुल जाने जैसा होता है. ठीक कहते हैं सर..! टीआई ने इत्मीनान के भाव चेहरे पर लाते हुए जवाब दिया. लाश को बारीकी से देखते हुये पंचनामा टीआई के निर्देशन में तैयार किया जा रहा था...एक अधेड़ उम्र का पुरूष जो करीब 50-55 साल का, गेंहुआ रंग, छरहरा बदन, औसत ऊंचाई..करीब 5.8 फ़ुट, बदन पर सफ़ेद बनियान जो खून और धूल-मिटटी से लाल मटमैले रंग का हो गया था, नीचे मेरून कलर का पेंट जिसमें काले रंग का पुराना सा बेल्ट बंधा था, शर्ट जो ग्रे कलर का था, बटन खुलकर चेहरा जलाने के उपक्रम में ऊपर का हिस्सा जल गया था, पहने हुआ था. अधजले बालों को देखने से स्पष्ट हो रहा था कि उसे मेहंदी से रंगा जाता रहा है..वो नीचे से सफ़ेद और ऊपर लाली लिये हुए अपनी कहानी ख़ुद बयाँ कर रहे थे.

~~~~~~~~~~~~~हालाँकि मौका-ए-वारदात लम्हेटा गाँव से कोई बहुत दूरी पर नहीं था, फ़िर भी यदि आसपास के किसी व्यक्ति की लाश होती तो वहाँ पर आये ग्रामीणों से से कोई न कोई, कुछ न कुछ पहचान का सूत्र दे देता. लाश और मौका-ए-वारदात पर ऐसे कोई निशानात भी नहीं थे, जिससे इस संदेह को बल मिलता कि हत्या कहीं और की जाकर लाश यहाँ डाल दी गई हो.. हाँ..! वहाँ पर किसी गाड़ी के टायर मार्क्स भी नजर नहीं आ रहे थे. जो इस बात को संदेह के घेरे में लाते. पंचायतनामा के साथ-साथ पहचान की कार्यवाही भी जारी रखी गई. जैसे पुलिस ने वहाँ पर अघोषित मुनादी करा दी थी कि जो कोई भी इस लाश के बारे जो कुछ भी जानता है बताने का कष्ट करें. DSP ने अज्ञात व्यक्ति के पंचनामा में विशेष सावधानी बरतने की हिदायत दी. फ़िर कहा -: शर्ट, पेंट, अंडरवियर की और बारीकी से तलाशी ली जाये. तलाशी में शर्ट की जेब से जले हुए कागजों के टुकड़े मिले, वही पेंट की जेब से कुछ सिक्के और करीब 200/- रुपये के करेंसी नोट मिले. पहचान के लिए कोई नाम, टेलीफोन नंबर, मोबाइल हैण्ड सेट नहीं मिल सका. शर्ट का उपरी हिस्से के जल जाने के कारण पेंट का टेलर मार्क [ आजकल निर्माता कंपनी का लेबल ] महत्वपूर्ण हो गया, उसे ध्यान से देखा गया. संयोग से पेंट में किसी स्थानीय निर्माता कंपनी "श्याम ट्रेडर्स" का लेबल लगा हुआ था. इसके बाद शरीर को भी बारीकी से देखने पर टेटू [गोदना] , पुरानी चोट का निशान, टीका, तिल या चेचक के दाग या निशान [ स्कार मार्क्स ] जैसे पहचान के सूत्र नहीं दिखे. सो पंचनामा में इन्हीं बातों का उल्लेख करते हुये, पहले डिस्ट्रिक्ट क्राइम ब्रांच और फ़िर शाम को निकलने वाले सारे अखबार और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को जानकारी दी गई...जो शाम को शहर और आसपास की सुर्खी भी बन गई.

~~~~~~~~~~~~~डीएसपी ने टीआई, FSL [ फोरेंसिक साइंस लैब ] के वैज्ञानिक और कुछ वरिष्ठ पुलिस स्टाफ के साथ चर्चा कर कुछ बिन्दु तय किए.

~~~~~~~~~~~~~लाश को पोस्टमार्टम के बाद मेडिकल कॉलेज जबलपुर के वातानुकूलित मरचुरी में शिनाख्तगी तक के लिए सुरक्षित रखा गया. शाम करीब 6.30 बजे टीआई के पास गढा निवासी रमेश पाण्डेय नामक व्यक्ति का फोन आया और उसने लाश के हुलिया के सम्बन्ध में जानकारी लेते हुये, विशेष रूप से उसके पहने पेंट के टेलर मार्क्स के सम्बन्ध में पूछा फ़िर उसे देखने की इच्छा व्यक्त की. थोडी देर में ही रमेश पाण्डेय अन्य लोगों को साथ लेकर जब लाश देखने मरचुरी में आया तो जैसे ही लाश पर से कपड़ा हटाया गया दूर से ही भावना पाण्डेय "....ये तो पापा हैं....!!!.." कहकर चीख पड़ी.

~~~~~~~~~~~~वो लाश जबलपुर के घने बसे रहवासी क्षेत्र गढा में लाल हवेली के मशहूर मालगुजार ओंकार प्रसाद शुक्ला की थी. शिनाख्तगी के बाद ह्त्या का रहस्य और गहराने लगा.....! इसी बीच वहां मौजूद DSP और टीआई तुंरत एक कोने में जाकर गुफ्तगू करने लगे.....~~~~~!!!

शेष.पढिये....... भाग- 2 में ....शीघ्र ही.

8 comments:

Udan Tashtari said...

अरे, ये तो गजब केस हो गया..अगली कड़ी जल्दी लाईये..और क्या खुलासा हुआ अब तक??

महेंद्र मिश्र.... said...

अगली किश्त का इंतजार है . शुक्रिया

Gyan Dutt Pandey said...

आपने तो सनसनी कायम कर दी। आगे क्या हुआ?

राज भाटिय़ा said...

अरे वाह जब केस सुलझने लगा तो आप ने बरेक लग दी, बहुत ही बढिया ढंग से आप ने इस के बारे बताया.
धन्यवाद

अनूप शुक्ल said...

हम भी हैं उत्सुक लोगों में।

अजित वडनेरकर said...

बहुत बढ़िया ...सस्पेंस बनाए रखना ज़रूरी है।
और इस बीच कुछ और दिलचस्प कड़ियां भी आप समेट पाएंगें।

Animesh said...

keep it up.....waitin for next part.

डॉ .अनुराग said...

यार रोचक बना कर भाग दो ओर क्रमश मत लगाया करो......कोशिश करना एक ही बैठक में ख़त्म हो जाये लम्बाई की चिंता मत किया करो......अगले भाग का इंतज़ार है....