Sunday, November 2, 2008

हेलो !!! कौन...! ...भावना दीदी ~~ !! भाग-3


दूसरे दिन याने 18 जून को सुबह पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आ गई, जिसमें चेहरे पर पेट्रोल जैसी ज्वलनशील पदार्थ डालकर जलाने और नुकीले, भोथरे हथियार से सर के पीछे और चेहरे पर गहरे जख्म पहुँचाकर हत्या किया जाना  लेख किया गया था. मृत्यु का कारण अधिक रक्तस्त्राव और शाक को बताया गया, जबकि समय 24 से 36 घंटे के पूर्व होना निश्चित किया गया था.

उधर मोबाइल नेटवर्क कंपनियों की मेहरबानियों से CDR  [ कॉल डिटेल्स रिपोर्ट ] लेकर कांस्टेबल उम्मीद से पहले ही DSP  के समक्ष उपस्थित हो गया. DSP ने उसे शाबास कहते हुए अभी तक लिए गये बयानों को एक बार फ़िर गंभीरता से पढ़ा, वे बयान जिसमें खास तौर से मृतक ओंकार प्रसाद शुक्ला के जानने वालों ने इस सनत शुक्ला की तरफ़ उंगली स्पष्ट रूप से उठाई थी. और फ़िर अपनी नोटिंग डायरी की कुछ ख़ास पेजेस को खोलकर, CDR  के साथ तरतीबवार विश्लेषण आरम्भ किया.  


सबसे पहले ओंकार प्रसाद शुक्ला के सेल नंबर के CDR अनालिसिस शुरू करते ही उनकी नजरें सुबह 9.13 बजे के इनकोमिंग कॉल पर जाकर टिक गई, जिसके आने पर मालगुजार बगैर ड्राईवर की प्रतीक्षा किए ही पैदल घर से निकल पड़ा था. इस नंबर के डिटेल्स नोट कर DSP ने हेड कांस्टेबल शिवनाथ को उस नंबर/सिम कार्ड के धारक व्यक्ति को फ़ौरन पता करने के टास्क पर लगा दिया. उसके बाद CDR विश्लेषण के अनुसार मृतक के मोबाइल से बेटी भावना एवं ड्राईवर अजय बवेले से हुए बातचीत की, बताये गये समय अनुसार पुष्टि हो रही थी. लेकिन लोकेशन का कालम कुछ अलग बंसी बजा रहा था, जो ध्यान देने का बिन्दु तो था..... किंतु मोबाइल के टावर्स के दूरी मेजरमेंट  की इतनी एडवांस तकनीक DSP के पास नहीं थी और विवेचना में अभी तक आए साक्ष्य भी पर्याप्त नहीं थे. की इसी आधार पर शक की थ्योरी पर काम करना शुरू कर दिया जाता. थोड़ी देर बाद हेड कांस्टेबल शिवनाथ ने फ़ोन से बताया कि सुबह 9.13 बजे कॉल वाले नंबर के सिम कार्ड होल्डर राजेश का एड्रेस पाटन है. और मालगुजार का ड्राईवर अजय बवेले दो राजेश को जानना बताता है....एक पाटन का और दूसरा गढा का ही. उधर टी आई भेडाघाट ने जानकारी दी कि ओंकार शुक्ला की बेटी भावना DSP साहब से कुछ बात करना चाहती है..!!
 


DSP स्वयं टीआई को लेकर देर शाम मालगुजार के घर पहुंचे . वहाँ मृतक के परिजनों ने सनत शुक्ला के व्यवहार और हरकतों के सम्बन्ध में खूब विस्तार से जानकारी दी. साथ ही घटना के लिए अप्रत्यक्ष रूप से उस पर संदेह भी जाहिर कर दिया. इसी बीच हेड कांस्टेबल शिवनाथ दोनों राजेश को लेकर वहीं पहुँच गया. दोनों राजेश के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ रही थीं जिसे देख रात के करीब 9 बजे का समय दिन के 12 जैसे लग रहा था. आखिर उनके चेहरे पर हवाइयाँ किस कारण से थीं...????
पाटन नामक कसबे में रहने वाले राजेश ने बताया कि वह मालगुजार मृतक ओंकार और उसके ड्राईवर अजय बवेले को जानता है लेकिन यह मोबाइल नंबर उसका नहीं है..वह तो दूसरा नंबर उपयोग करता है. जो अभी भी उसके पास है, चाहे तो चेक कर लें. दूसरी और गढा में निवास करने वाले राजेश ने बताया कि वह केवल ड्राईवर अजय बवेले को जानता है, क्योंकि वह पान मसाला खाने के लिए आता है तो कभी कभार पान दुकान पर उसकी बात -मुलाकात हो जाती है. गढा में ही काफी समय से रहने की वजह से वह मालगुजार को नाम और चेहरे से पहचानता जरुर है लेकिन उससे कभी कोई बातचीत नहीं हुई. सेल नंबर के बारे में पूछने पर उसने बताया कि करीब २ महीने पहले उसे मोहल्ले के ही अशोक नाम के सिम बेचने वाले ने यह सिम उसे 200/- रुपये में बिना कागजात के दी थी. जो बाद में उसने चिंटू को दे दिया..! इस पर DSP ने लगभग चौंकते हुए पूछा कौन चिंटू..???  तो उसने चेहरे पर बिना कोई भाव लाये जवाब दिया-  साहब ! चिंटू......याने यही अपना अमित जो गढा में रहता है.
इसी बीच भावना पाण्डेय सूजी हुई आँखे पोंछते हुए उसी कमरे में आई, जहाँ गवाह राजेश द्वय से पूछताछ चल रही थी......और भावावेश में बिना भूमिका के कहने लगी.....क्या बताऊँ सर !  मेरे ध्यान से उतर गई थी... जब 16 जून की शाम 6.55 बजे उसके मोबाइल पर घंटी बजी तो उसने फोन अटेंड करने के लिए जैसे ही नंबर देखा तो....वह पापा का कॉल था.  लेकिन फोन रिसीव करते ही उधर से आवाज आई.....हेलो...!  कौन ..? भावना दीदी..!!  यह सुनकर वह कुछ समझ नहीं पाई और बोली ....कौन..?  चिंटू तुम...!!  जवाब में उधर से बीच में ही थोडी लरजती लेकिन कड़क सी आवाज आई ...अरे नहीं नहीं ..!!!  मैं तो पाटन से बोल रहा हूँ.  तुम्हारे पिताजी को जमीन दिखाने लाया हूँ..... लो अपने पिताजी से बात करो.  थोडी देर बाद पापा ने फ़ोन पर आकर बताया कि वह जमीन देखने के लिए पाटन में है, वापस आने में लेट हो जायेंगे.  पूरी बात को ध्यान से सुन रहे पुलिस टीम में इस बार चौकाने की बारी टीआई की थी......उसने भावना से पूछा ....कौन चिंटू. ??  भावना ने आश्चर्य भाव से बताया ...सर ! यही अपना मुलाजिम अमित ठाकुर.

यहाँ प्रकरण फ़िर एक नए मोड़ पर आकर खड़ी हो गई......सनत शुक्ला...?  राजेश...पाटन वाला  ??राजेश...गढावाला  ???   और फ़िर चिंटू उर्फ़ अमित ठाकुर ???? अशोक सिमवाला, भावना पाण्डेय, केशरवानी होटलवाला  या फ़िर कोई और ?????.  क्या देर रात को मालगुजार के घर बैठे DSP  जैसे इन कड़ियों को जोड़ने में अभी भी लगे हुए थे.......उसी तरह आप भी लगे हुए हैं......!!  या फ़िर आप किसी निष्कर्ष पर ही पहुँच गये....!!!

मैं तो DSP साहब के साथ हूँ, जो सूत्रों को करीने से जोड़कर ठोस तरीके से मामले की तह में पहुँचाना चाहते हैं और उसके पहले कुछ बताना...!!!!!  भी नहीं चाहते .

तो पढिये यह जानने के लिए......कि आखिर लाल हवेली के मालगुजार ओंकार प्रसाद शुक्ला के रहस्यमय ह्त्या का सूत्रधार, जिम्मेदार और हत्यारा कौन ???? पुलिस ने विवेचना में आगे क्या किया .....

चौथा और अन्तिम भाग.... कल दिनांक - 03.11.2008

7 comments:

Gyan Dutt Pandey said...

पुलिस ने विवेचना में आगे क्या किया .....

ताऊ रामपुरिया said...

बेसब्री से अगले भाग का इंतजार ! आपने इस पुरी श्रंखला को बड़े ही शानदार तरीके से लिखा है और पोस्ट की सजावट बहुत मन मोहक है ! आपको बहुत धन्यवाद और शुभकामनाएं !

राज भाटिय़ा said...

अरे वाह केसी केसी गुथियां उलझी पडी होती है, आप ने बहुत मेहनत से इस लेख को सजाया है. धन्यवाद, अगली कडी का इन्त्जार है...

Smart Indian said...

उत्सुकता है...

योगेन्द्र मौदगिल said...

आपने तो हमें भी हिला रक्खा है
खैर
अगली कड़ी कब ?

बाल भवन जबलपुर said...

समीर भाई गज़ब
पोस्ट भी बेहद सलीके से
ब्लॉग की सजावट भी ठीक वैसी ही
जैसी चाहिए
बधाई

Udan Tashtari said...

हर बार ऐसे मोड़ पर लाकर छोड़ते हैं कि अगले दिन का इन्तजार लग जाता है.

कहाँ पुलिस में चले गये मित्र..सत्य कहानीकार होना चाहिये था. :)

वैसे तो यह पुलिस विभाग में रहते हुए भी कर सकते हैं..आप साबित भी कर ही रहे हो.

बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं. कल का इन्तजार है....