Sunday, November 9, 2008

नेताजी का मोबाइल ...3 [ नौकरशाही..]

चार संहिता लग गई ..... तो क्या हुआ ?  काम थोड़े ही रुक जायेगा !! ....ये सरकारी अधिकारी तो बस बहाना ढ़ूढ़तै हैं...... काम नहीं करने का. चलो अभी मिलवाता हूँ.....नेताजी से. छोटी-छोटी आँखों को जबरदस्ती विश्वास दिलाने के उपक्रम में बड़ी करता हुआ एक सेवक मुन्नू कबाडी को अपने पीछे-पीछे ड्राईंग रूम तक ले आया.  नेताजी.....! क्या बताऊँ...वो अशरफ को अयोध्यानगर थाने में पकड़ लिया गया..... कहते हैं... बिजली के तार, जो और चोरी किए हो, सब बरामद कराओ... वरना सड़ा देंगे. सुखलाल सिपाही ने बताया है कि मेरे यहाँ भी छापा मारने आ रहे हैं. थानेदार से बात की.... नेताजी ने एक साँस में बोलते मुन्नू कबाड़ी को टोका. हाँ किया था... पर थानेदार बोलता है... साहब तो तुम्हें भी उठाने को बोल गए हैं... स्स्साले ! अपने आदमी को चोरी के लिए बाकायदा स्कूटर, मार्शल जीप दे रखा है. इस बार माल और जीप के साथ पकड़ाया है... सुबह 4 बजे के चेकिंग में.... साहब ख़ुद भी थे.....!!  मैं कुछ नहीं कर सकता,  मामला साहब के हाथ में है. परेशानी के भाव मुन्नू कबाड़ी के चेहरे पर आ-जा रहे थे. नेताजी एक सेवक को इशारा करते हैं.... सेवक तो जैसे इसी के इंतजार में ही था... झट सक्रिय होकर इलाके के साहब को फोन मिलाया. उधर से हेलो कहते ही छूटते हुए बोला.... साहब, माननीय नेताजी बात करेंगे. फ़िर ऑनलाइन...मोबाइल नेताजी को पकडाता है. नेताजी नमस्कार..!  कैसे हैं पांडेयजी,,,!  नेताजी तुंरत अनौपचारिक होते हुये मुद्दे की बात पर आते हैं... देखिये क्या यही सब काम रह गये हैं आपके पास, हमारे कार्यकर्ताओं को परेशान करें, बिठा ले.! ......लेकिन वो तो माल और चोरी की गाड़ी के साथ पकडा गया है... बुझे स्वर में उत्तर आया.  तो क्या..! कार्यवाही में तो आप ही थे न.....तो फ़िर मेनेज करिये. बाद में बात करते हैं.
..........................आधे घंटे बाद सेवक पुनः वही नंबर मिलाकर मोबाइल नेताजी को देता है... आवाज आती है... जी हाँ, छोड़ने के लिए कह दिया है.  हाँ ठीक है.... देखिये चुनाव  का टाइम है... उसको,  आपको, सबको देखना है....हा हा...हा..!!!  नेताजी विजयी भाव चेहरे पर लाकर मुंह से ही हँसते हैं.


....समीर यादव.

18 comments:

Gyan Dutt Pandey said...

भैया, मोबाइल के साथ नेतागिरी भी मोबाइल हो गयी है। पांच साल बाद लैपटाप पर इन्टरनेट जगर-मगर करायेंगे नेताजी मुन्नू कबाड़ी के सामने!

सतीश पंचम said...

वैसे ये मोबिलाइज्ड नेता लोग तो सबको इनिशियल स्टेज पर ही निपटा देते हैं...आगे बात पहुँचे उसके पहले ही फाइनलाईज्ड :)
अच्छी पोस्ट।

बाल भवन जबलपुर said...

क्या बात है
समीर भाई छा रहे हो
आप मोबाइल की कथा सुना रहे हो
बधाईया

sandhyagupta said...

Sahi hai..

guptasandhya.blogspot.com

दीपक said...

सही कहा समीर जी !! आपने

एक ही उल्लु काफ़ी है खाक गुलिस्ता करने को ॥
हर साख पे उल्लु बैठे है अब हले गुलिस्ता क्या होगा !!

योगेन्द्र मौदगिल said...

बिल्कुल सही कहा आपने
सटीक व सामयिक

Abhishek Ojha said...

मोबाइल श्रंखला तो जम रही है... बहुत बढ़िया !

Udan Tashtari said...

यथार्थ चित्रण है भाई..गजब चल रही है मोबाईल कथा.

राज भाटिय़ा said...

अरे वाह सब चोर उच्चके साहब बन जाते है चुनाव के दिनो मै, धन्यवाद

कुश said...

ये मोबाइल कथा तो जबरदस्त है..

समीर सृज़न said...

मेरा ब्लॉग विजिट करने के लिए शुक्रिया समीर जी. अच्छा लगा एक पुलिस ऑफिसर होते हुए भी पत्रकार से बड़ी सोच है आपकी. ऐसे ही लिखते रहिये और हमें भी पढ़ते रहिये.

36solutions said...

मेरे लिये यह अंतरकथायें हैं । समीर जी धन्‍यवाद, विद्रूपों को उधाडने के लिए, इनकी नंगी सोंच समने आनी चाहिये ।


सुन्‍दर बोधगम्‍य तरीके से प्रस्‍तुत इस आलेख के लिए धन्‍यवाद ।

Baghel's said...

समीर जी,
आहा!! नेताजी का मोबाइल
बहूत खूब लिखा आपने बस ऐसे ही लिखते रहिये,
हमारी सुभकामनाए आपके साथ हैं
हमारे ब्लॉग पर आपकी टिपण्णी के लिए धन्यवाद

Unknown said...

aap ko is rachna ke liye meri or se hardik badhaai.... itne vyast jeevan main se bhi aam aadmi ke liye aap ka samay nikal kar likha gaya yeh sanskaran ek baar phir shrilal shukla ki yaad didata hai... vartman halaton par aapka yeh chintan sadhuvaad ke yogya hai...

manish sharma bsr said...

बेहद अच्छा और साफ़ सुथरा लिखा है....यह सफेदपोश 'बीमारी' कम से कम भारत में तो लाइलाज हो चली है....शायद ऐसे आईने दिखने से कुछ परिस्थितयां बदलें....हार्दिक शुभ कामनाएं

Unknown said...
This comment has been removed by the author.
Unknown said...

sameer bhai apka likha padhker may abhibhut hu-mustafa,Etv

Unknown said...

sameer bhai itne gehre utre hai ye maloom nahi tha.meri shubhkamnaye