Sunday, April 17, 2011


छत्तीसगढी भाषा में यह खंड-काव्य अभिनव है. आदरणीय बाबूजी को प्रणाम.
shar.es
‎"देखते देखत अब गॉंव गियॉं सब शहर कती ओरियावत हें ! कलपत कोइली बिलपत मैना मोर गॉंव कहॉं सोरियावत हे !"