Sunday, April 17, 2011
छत्तीसगढी भाषा में यह खंड-काव्य अभिनव है. आदरणीय बाबूजी को प्रणाम.
सुकवि बुधराम यादव के सरस कविता संग्रह ''गॉंव कहॉं सोरियावत हें'' गुरतुर गोठ म लउहे - गुरतुर गोठ : Ch
shar.es
"देखते देखत अब गॉंव गियॉं सब शहर कती ओरियावत हें ! कलपत कोइली बिलपत मैना मोर गॉंव कहॉं सोरियावत हे !"
1 comment:
राज भाटिय़ा
said...
नाईस
April 17, 2011 at 2:51 PM
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
नाईस
Post a Comment