Monday, August 11, 2008

कोंअर काया कुम्हालागे

मोर फूल असन कोंअर काया कुम्हलागे
निरमया निरमोही तोला दया नई लागे...
तोला मया नई लागे.....

रेंगव तव अंचरा कांध ले सरकत जाथे
बैरी ये जवानी घरी-घरी गरुवाथे
तोर संग गोहरावत काजर घलव धोवागे...
निरमया निरमोही...........

पैरी के रुनझुन सबद निचट नई परखे
चुरी खनके के आरो घलव नई ओरखे
पुन्नी चंदा तोर छाँव जोहत कौआगे
निरमया निरमोही.............

सगरी जिनगी तोर बर अरपन कर डारेंव
ये मांग के सेंदुर तोर खातिर भर डारेंव
तोर मया पिरित मा लोक लाज बिसरागे
निरमया निरमोही......

तरिया नदिया मे संगवारी छेंकत हे
तोर नाव के गोटी मोर डहर फेंकत हे
अनमोल रतन ये गली-गली मा बेचागे
निरमया निरमोही तोला दया नई लागे ........
मोर फूल असन कोंअर काया कुम्हलागे.......
............तोला मया नई लागे

रचयिता
सुकवि बुधराम यादव वर्ष- 1976

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