Monday, August 11, 2008

महर महर महकय माटी

............महर महर महकय माटी.........








महर महर महकय माटी मोर लहर लहर लहरावय धान !
खेत मेढ़ मा ठाढे मगन मन मुचुर मुचुर मुसकावय किसान !!

जुरमिल बेटा-बहु सुवारिन
खेत के बन-कचरा निरवारिन !
जईसे जिनगी के गुन अवगुन
निरवारय कोई चतुर सुजान !!
महर महर महकय माटी मोर,
लहर लहर लहरावय धान !

झिमिर झिमिर बादर बरसय
धरती के चारों खुंट सरसयं !
सुध बुध बिसरे बांचय
दादुरजस के जानव पोथी पुरान !!
महर महर महकय माटी मोर,
लहर लहर लहरावय धान !

सुरूर सुरूर पुरवैया डोले
खर खर धान के पाना बोलय !
चिरईं चुरगुन जमो खार के
जुरमिल जनव मिलांवय तान !!
महर महर महकय माटी मोर,
लहर लहर लहरावय धान !

मेहनत के फल समुनहे पाके
तन मन के सब दुःख बिसराके !
चोंगी मा माखुर भर आगी
चकमक मा सुलगावय मितान !!
महर महर महकय माटी मोर,
लहर लहर लहरावय धान !

कनिहा मा ओठ्गाये तुतारी
धरे खांध मा रांपा कुदारी !
अलबेला अलखावत गावय
मोर धरती मोर जीव परान !!
महर महर महकय माटी मोर,
लहर लहर लहरावय धान !

महर महर महकय माटी मोर लहर लहर लहरावय धान !
खेत मेढ़ मा ठाढे मगन मन मुचुर मुचुर मुसकावय किसान !!

..................रचयिता.......
.सुकवि बुधराम यादव..
..........बिलासपुर..

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