जन्माष्टमी के पावन बेरा मा...परसतुत हे॥
मोर कुंवर कन्हैया...!
मोर कुंवर कन्हैया बलदाऊ के भइया
तैं झन जाबे माखन चोराय
बदनाम होथे भइया तैं झन जाबे माखन चोराय !
नौ लाख गइया उबरय नन्द महर घर
लाखन हें बछुरा बंधे !
दूध अउ दही के गा नंदिया बोहाथे
माखन सकले नई सकलाय !!
अतको मा का घट गय तोरबर कन्हैया
ओरहन जौन लाथस बलाय !
बदनाम होथे भइया तैं झन जाबे माखन चोराय !
मन लागय जतका माखन मिसरी लल्ला
घर में गुवालन संग खाव !
पन खोंची भर खातिर औरे घर जाके
चोरहा ये नाव झन धराव !!
घेरी बेरी बरजेंव नई मानस कन्हैया
दिन दिन तैं जाथस नथाय !
बदनाम होथे भइया तैं झन जाबे माखन चोराय !
खाये पीये के बस ओढर बनाथस
मसर मोटी करथस तैं जाय !
दैहा दूधहा के सब राहित छडा थस
सिकहर ले देथस गिराय !!
चिखला मतांवय तोर संगवारी चेलिक
अउ नाव तोर देंथय टिपाय !
बदनाम होथे भइया तैं झन जाबे माखन चोराय !
काय तोर नाठाइन ओ गरीब सब गुवालिन
जाथस बदला जेकरा भंजाय !
काय डार दिहिन उन माखन मा मोहनी
जौन गये तैं निचट मोहाय !!
कान धर कान्हा किरिया खा अब 'बुध' कहे
मान तोला जसुदा समझाय !
बदनाम होथे भइया तैं झन जाबे माखन चोराय !
रचयिता
सुकवि बुधराम यादव
बिलासपुर
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