Sunday, August 24, 2008

मोर कुंवर कन्हैया...!


जन्माष्टमी के पावन बेरा मा...परसतुत हे॥




मोर कुंवर कन्हैया...!


मोर कुंवर कन्हैया बलदाऊ के भइया
तैं झन जाबे माखन चोराय
बदनाम होथे भइया तैं झन जाबे माखन चोराय !


नौ लाख गइया उबरय नन्द महर घर
लाखन हें बछुरा बंधे !
दूध अउ दही के गा नंदिया बोहाथे
माखन सकले नई सकलाय !!
अतको मा का घट गय तोरबर कन्हैया
ओरहन जौन लाथस बलाय !
बदनाम होथे भइया तैं झन जाबे माखन चोराय !

मन लागय जतका माखन मिसरी लल्ला
घर में गुवालन संग खाव !
पन खोंची भर खातिर औरे घर जाके
चोरहा ये नाव झन धराव !!
घेरी बेरी बरजेंव नई मानस कन्हैया
दिन दिन तैं जाथस नथाय !
बदनाम होथे भइया तैं झन जाबे माखन चोराय !


खाये पीये के बस ओढर बनाथस
मसर मोटी करथस तैं जाय !
दैहा दूधहा के सब राहित छडा थस
सिकहर ले देथस गिराय !!
चिखला मतांवय तोर संगवारी चेलिक
अउ नाव तोर देंथय टिपाय !
बदनाम होथे भइया तैं झन जाबे माखन चोराय !


काय तोर नाठाइन ओ गरीब सब गुवालिन
जाथस बदला जेकरा भंजाय !
काय डार दिहिन उन माखन मा मोहनी
जौन गये तैं निचट मोहाय !!
कान धर कान्हा किरिया खा अब 'बुध' कहे
मान तोला जसुदा समझाय !
बदनाम होथे भइया तैं झन जाबे माखन चोराय !


रचयिता
सुकवि बुधराम यादव
बिलासपुर

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